हौसला ना छोड़ कर सामना जहाँ का…

हौसला ना छोड़ कर सामना जहाँ का
हौसला ना छोड़ कर सामना जहाँ का
वो बदल रहा है देख रंग आसमान का
रंग आसमान का
ये शिकस्त का नही ये फ़तेह का रंग है
ज़िंदगी हर कदम एक नयी जंग है
ज़िंदगी हर कदम एक नयी जंग है

रोज़ कहाँ ढूँढेगे सूरज चाँद सितारों को
रोज़ कहाँ ढूँढेगे सूरज चाँद सितारों को
आग लगा कर हम रोशन कर लेंगे अँधियारो को
आग लगा कर हम रोशन कर लेंगे अँधियारो को
गम नही जब तलक़ दिल मे ये उमंग है
ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है
ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है 

     

इस गीत को न जाने कितनी बार सुना होंगा पर गीत के शब्दो को गहराई से समजना और जीवन मे उतरना और इस शब्द के साथ जीना एक अलग बात होती हे। मे कोई बड़ा तीस मारखा नहीं हु लेखन की दुनिया मे मगर मुझे लिखना पसंद हे इस लिए कभीभी लेपटोप शरू करता हु और किबोर्ड पर उंगलिया घूमना शरू कर देती हे। आज मुझे अपनी बात करनी हे। 28 साल की उम्र मे लोग जब जिंदंगी मे शादी करके सेटल हो जाते हे उस वक्त मेरे जेसे लोग सोचते हे के, चलो पहेले अपने शहर से निकलके मेट्रो सिटी मे सेट होते हे फिर शादी के बारे मे सोचेंगे। मे ये नहीं कहना चाहता के, मे पूरी तरहा सेटल हो चुका हु। पर हा जब मेने सोचा और उस सोच को करके दिखाया तब जो आत्म-संतोष मिलता हे उसे किसी पैसे से नहीं खरीद शकते आप। मुझे बहोत लोग कहेते हे के, आपकी उम्र बहोत बढ़ चुकी हे शादी के लिए!! अब तो आपको कोई भी लड़की मिले तो शादी के लियी हा बोल कह देना चाहिए। इस सवाल का जवाब मे कभी देना भी नहीं चाहता तो दूसरा सवाल होता हे, आप ने अब क्यू शादी नहीं की? हा इस सवाल का जवाब मे हमेशा देना चाहूँगा क्यू की इसी जवाब मे तो मेरी जिंदगी छुपी हुवी हे!! मेने आज तक जो भी किया हे वो मेरी मर्जी से किया हे, शायद ये आप लोगो को घमंडवाली बात लेगेगी मगर यही सत्य हे। मेरे जेसे लोग जो पहेले से पढ़ाई मे ठीक थे, और ऊपर से वो स्पर्धात्मक परीक्षा की तैयारी करते हे तो जाहीर सी बात हे उसे उसमे कामयाबी मिले भी और नहीं भी। तो मेने भी बहोत सारी परीक्षा की तैयारी की थी। वेरावल से राजकोट – अहमदाबाद बहोत आया मे। मगर उसमे कभी सफल नहीं हुवा। हा, बिच मे एक बेंक की परीक्षा मे पास हो गया था पर मार्क्स इतने कम थे के काही बात ही नहीं बनी। तो मुझे इस सब से कोई अफसोस नहीं हे। क्यू की इसी तैयारी के चक्कर मे मुझे पढ़ने का व्यसन लग गया और थोड़ा बहोत लिखने का भी और साथ ही मेरे घर पे एक बहोत छोटी पुस्तकालय भी हो गयी। ये सब मे अपनी मर्जी से और अपने दिल से करता था मगर मगर दोस्तो अगर दुनिया मे जिंदा रहना हे तो दिल से नहीं दिमाग से सोचो और जब मे दिमाग से कुछ सोचता मे बहोत आगे निकल चूका था पर पैसो के मामले मे काही पीछे था मे!! तो फिर कस्म कस शरू हुवी दिल और दिमाग के बीच मे और दिमाग को थोड़ा खोला और और साथ-साथ मे दिल को भी समजाया के तेरा भी मे कहना मानुगा चिंता मत कर। पर वो बोलते हे ना के, दिमाग ने दिल को मत दे ही दी आखिर कार और पूरे दिमाग से मे सब काम करने लग गया और थोड़ा बहोत ही दिल से काम करने लगा और सोचने लगा। और वेरावल से निकल गया। सबको आज तक एसा ही लगता था के, मे अब वेरावल से नहीं निकलूँगा मगर मे निकाल गया और मे यहा से भी आगे जाना चाहता हु और जावुंगा भी, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता के, मे कितना भी सेट हो गया हु। हा, अब जो भी होगा पूरी प्लानिंग से होगा, अबतक कभी कोई प्लानिंग नहीं की थी मगर अब होगा। और मे एसा कतई नहीं मानता के इस उम्र या उस उम्र के बाद आप अपनी ज़िंदगी मे परिवर्तन नहीं कर शकते। आप अपने जीवनमे परिवर्तन कभीभी और जेसा आप चाहे वेसा परिवर्तन ला शकते हे। एसा मेरा विश्वास हे, घमंड नहीं। घमंड और विश्वास के बीच मे जो पल होता हे उसे मेने कब का पार कर लिया हे। और इसी विश्वास से मे आगे बढ़ा हु और बढ़ता रहूँगा। हा, इस आगे बढ्ने के दरमियान जीतने भी लोगो का साथ मिला उस सब से मे हमेशा तहे दिल से सुखरियादा करता रहूँगा।   

                        आखिर मे वो ही,

ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है….   

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