अब देशमे बीच का कोई रास्ता नहीं रह गया!

अब देशमे बीच का कोई रास्ता नहीं रह गया! या तो आप इस साइड हो जाए, या फिर उस साइड. आप या तो भीड़ का हिस्सा बन जाइए, या फिर भीड़ के विरोध मे चले जाइए। जिस तरहा से देश की जनताको सुनहेरे सपने दिखाने की कोशिश की गयी थी उसमे आँख खुलने से पहेले ही चकनाचूर होते नजर आ रहे हे. आज हमारे देश मे “बिनसांप्रदाइकता” जेसे शब्द केवल किताबों मे दफन होते जा रहे हे। मुझे बहोत ही दुख के साथ कहेना पड़ता हे के, देश के हालत बत से बदतर होते जा रहे हे। थोड़े समय पहेले की ही बात हे जहा हमारे देश की छबी आंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहोत ही अच्छी हो चुकी हे ईएसए मीडिया और सारे जगहा से मेसेज मे आता था। पर अभी थोड़े दीनो मे जो घटनाए सामने आई हे उसमे भी हमारे देश की छबी आंतरराष्ट्रीय स्तर पे बहोत ही भीरी साबित हो रही हे, जेसा UN ने हाल ही मे कहा।
और कुछ लोग तो एसे बात कर रहे हे जेसे कुछ हुवा ही नहीं! या फिर एसा बताने की कोशिश कर रहे हे के, जो हुवा वो अच्छा हुवा! मे आपको बताना चाहता हु के आज जो किसी और के साथ हुवा हे वो कभी ना कभी आप के साथ भी हो शकता हे!!
मुझे बहोत ही अच्छी तरहा याद हे की, पहेले जब एसी कोई घटना बनती थी तो मेरे आसपास के लोग जो हे वो सरकार और प्रशाशन के ऊपर बहोत ही गुस्सा उतरते थे. पर आज-कल देख रहा हु कोई कुछ नहीं बोल रहा! या फिर सब लोगो के होठोपर गम चिपका दिया हे किसिने! मतलब शायद इन लोगो को भी लग रहा हे की कही ना कही हमने ही गलत लोगो को चुना हे?

और एक दूसरी घटना पर भी मेरा ध्यान गया हे। कहेते हे के जो लोग सफल नहीं होते वो लोग अक्सर दूसरों को ही दोषी ठहराने की कोशिश करते रहेते हे। जिसके बारे मे मेने “सोचिए और अमीर बनिये “. निपोलियन हिल की पुस्तक मे आखिर मे पढ़ा हे!! और आज-कल यही मुझे देश के सता मे बेठे लोगो मे दिख रहा हे.